Thursday, September 19, 2013

चिकित्सक ने फिर से उगाई कटी हुई उंगली

डेलरे बीच (मायामी), एजेंसी
अमेरिका के फ्लोरिडा प्रांत के सुदूर दक्षिणी महानगर मायामी के डेरले बीच में एक चिकित्सक ने चिकित्सा के क्षेत्र में अनोखा कारनामा कर दिखाया है। चिकित्सक यूगेनियो रॉड्रिग्ज ने एक अनोखी पद्धति का उपयोग कर एक मनुष्य के हाथ की कट गई उंगली को फिर से सफलतापूर्वक उगा दिया।
अमेरिकी समाचार चैनल सीबीएस ने रॉड्रिग्ज के हवाले से बताया कि 33 वर्षीय पॉल हेल्पर्न अपनी कटी हुई उंगली एक चैन लगे पॉलीथीन में रखकर उनके पास उपचार के लिए आया। हेल्पर्न की बीमा कंपनी चाहती थी कि उसकी बची हुई उंगली भी काट दी जाए, जबकि रॉड्रिग्ज उसकी उंगली फिर से उगाने के लिए एक नई पद्धति का इस्तेमाल करना चाहते थे।
अपने घोड़े को खाना खिलाते हुए हेल्पर्न के घोड़े ने उनकी उंगली ही चबा ली थी। रॉड्रिग्ज ने बताया कि हेल्पर्न जल्द से जल्द से अपनी उंगली का उपचार चाहता था। रॉड्रिग्ज ने बिना किसी चीरफाड़ के हेल्पर्न की उंगली को फिर से उगाने की बात कही।
रॉड्रिग्ज ने बताया कि वास्तव में इस पद्धति का इससे पहले कभी प्रयोग नहीं किया गया। रॉड्रिग्ज ने सुअर के मूत्राशय के ऊतकों के इस्तेमाल से हेल्पर्न की कटी हुई उंगली का नमूना तैयार किया और उसे हेल्पर्न की उंगली के कटे हिस्से पर जोड़ दिया।
रॉड्रिग्ज बताते हैं कि यह बहुत प्रभावी साबित हुआ। उन्होंने बताया, ''उंगली की कोशिकाएं, हड्डियां, नर्म ऊतक और यहां तक नाखून भी अपने पहले वाले स्वरूप में विकसित हो गए। किसी रोगी को ठीक होते देखना वास्तव में बहुत अच्छा लगता है। जख्मों का उपचार करना मेरा जुनून है। उपचार के दौरान नए परिणाम देखना बेहद लुभावना होता है।''
हेल्पर्न ने कहा, ''मैं इसके लिए बेहद शुक्रगुजार हूं। यह अद्भुत है। मुझे लगता है कि भविष्य में इस तकनीक के कई अन्य प्रयोग भी हो सकते हैं।''
link-http://www.livehindustan.com/news/videsh/international/article1-story-2-2-364312.html

Thursday, September 27, 2012

ऐन्टीसेप्टिक ऐन्टीबेक्टेरियल ऐन्टीवायरल ऐन्टीवर्म ऐन्टीऐलर्जीक ऐन्टीट्यमर है नीम


नीम को संस्कृत में निम्ब,वनस्पति ष्षब्दावली में आजाडिरिक्ता-इण्डिका कहते है।नीम के बारे में हमारे ग्रन्थों में कहा गया है।

निम्ब षीतों लघुग्राही कटुकोडग्रि वातनुत।

अध्यःश्रमतुट्कास ज्वरारूचिकृमि प्रणतु।।

नीम ष्षीतल,हल्का,ग्राही पाक मे चरपरा,हृदय को प्रिय,अग्नि,वात ,परिश्रम,तृ्रेषा ,ज्वरअरूचि कृमि,व्रण,कफ,वमन कोढ और विभिन्न प्रमेह को न्रेषट करता है।


नीम में कई तरह लाभदायी पदार्थ होते है।रासायनिक तौर पर मार्गोसिन निम्बडीन एवम निम्बेटेरोल प्रमुख है।नीम के सर्वरोगहारी गुणों से यह हर्बल आर्गेनिक पेस्टीसाइड,साबुन,ऐन्टीसेप्टिक क्रीम,दातुन मधुमेह नाषक चूर्ण,ऐन्टीऐलर्जीक,कोस्मेटिक आदि के रूप में प्रयोग होता है।

नीम कडवा है लेकिन इसके गुण मीठे है,तभी तो नीम के बारे मे कहा जाता हैकि सौ हकीम और एक नीम बराबर है।

चैत्र नवरात्री पर नीम के कोमल पतो को पानी में घोलकर सील बट्टों या मिक्सी में पीसकर इसकी लुगदी तैयार की जाती है,इसमें थोडा नमक और कुछ काली मिर्च डालकर उसे ग्राहय बनाया जाता है।इस लुगदी को कपडे में रखकर पानी मे छाना जाता है,छाना हुआ पानी गाढा या पतला कर प्रातः खाली पेट एक कप से एक गिलास तक सेवन करना चाहिये पूरे नौ दिन इस तरह अनुपात मे लेने से वर्ष भर की स्वास्थ्य गारंटी हो जाती है,सही मायने में चैत्र नवरात्री स्वास्थ्य नवरात्री है,यह रस ऐन्टीसेप्टिक ऐन्टीबेक्टेरियल ऐन्टीवायरल ऐन्टीवर्म ऐन्टीऐलर्जीक ऐन्टीट्यमर आदि गुणो का खजाना है।ऐसे प्राकृतिक सर्वगुण सम्पन्न अनमोल नीम रूपी स्वास्थ्य रस का उपयोग प्रत्येक व्यक्ति को करना चाहिये।यह इन दिनो बच्चों को चेचक से बचायेगा,जीन लोगो को बार बार बुूखार और मलेरिया का संक्रमण होता है,उनके लिए यह रामबाण औषधि है।वैसे तो आप प्रतिदिन पाँच ताजा नीम की पत्तियाँ चबा ले तो अच्छा है,मधुमेह रोगीयो में प्रतिदिन सेवन करने पर रक्त ष्षकर्रा का स्तर कम हो जाता है।

नीम की महता पर एक किवंदती प्रसिद्ध है कि आयुर्वेदाचार्य धन्वतरि एवमृ युनानी हकीम लुकमान समकालिन थे,भारतीय वैघराज की ख्याति उस समय विष्व प्रसिद्ध थी लुकमान हकीम ने उनकी परीक्ष लेने एक व्यक्ति को यह कहकर भेजा कि इमली के पेड के नीचे सोते जाना ,भारत आते आते वह व्यक्ति बीमार पड गया, महर्षि धन्वतरि ने उसे वापस यह कहकर भेज दिया कि रात्री विश्राम नीम के पेड के नीचे करके लौट जाना,वह व्यक्ति पुनः स्वस्थ्य हो गया।

shukriya ke saath - http://bhuneshwari.blogspot.in/2012/03/blog-post_24.html

Friday, February 17, 2012

सेहत की हिफ़ाज़त का आसान तरीक़ा

सुबह सूरज उगने से पहले उठें और पानी पीकर टहलने के लिए निकल जाएं।
नमाज़ पढ़तें हों तो नमाज़ पढें वर्ना तेज़ चाल से झपटकर चलें और जब सूरज निकल जाए तो कुछ देर उसे ध्यान से देखें।
भूख से कम खाएं, मौसमी फल सब्ज़ियां खाएं और अपने ख़यालात सकारात्मक बनाएं। नकारात्मक ख़याल आपके अंदर की ताक़त को खा जाते हैं।
आंवला, नींबू, लहसुन, प्याज़, पपीता और मछली का इस्तेमाल ज़रूर करें।
क़ब्ज़ हो तो रोज़ाना त्रिफला खाएं और पेट नर्म रहता हो तो अदरक इस्तेमाल करें।
लोगों से मुस्कुराकर मिलें।
जिस काम में बरकत चाहते हों तो आप उसे दिन के पहले घंटे में ज़रूर शुरू करें।
जिस काम की अहमियत ज़्यादा हो उसे पहले करें और वक्त निकाल कर दोस्तों और रिश्तेदारों से भी मिलें, आप डिप्रेशन की नामुराद बीमारी से हमेशा बचे रहेंगे।
आप इन कामों को करेंगे तो आपको ऑक्सीजन भरपूर मिलेगी और अपने खाने पीने से वे चीज़ें भी मिल जाएंगी जिनके ज़रिये आपका जिस्म लगातार ताक़त और ताज़गी पाता रहेगा।
इसी के साथ अपने बीवी बच्चों के साथ भी कुछ वक्त रोज़ाना ज़रूर गुज़ारें और उन्हें छूएं। आपका छूना आपको और उन्हें दोनों को ही एक अलग ही सुकून देगा।

Monday, September 19, 2011

जल्द राहत मिलेगी माइग्रेन से



लास एंजेलिस। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने माइग्रेन को समझने मे मदद के लिए तीन जीन (आनुवांशिक इकाई) खोजे है। इन तीन जीनों में से किसी एक जीन के माता-पिता से बच्चों में पहुंचने पर भयंकर सिरदर्द का खतरा 10 से 15 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।

ये तीन जीन टीआरपीएम8, एलआरपी1 और पीआरडीएम16 हैं। इनमें से पहले जीन की मौजूदगी सर्दी और दर्द के प्रति संवेदनशीलता के लिए जिम्मेदार होती है जबकि दूसरे जीन की मौजूदगी तंत्रिकाओं में संकेतों के प्रवाह को प्रभावित करती है।

हार्वर्ड मेडीकल स्कूल के ब्रिगहैम एंड वूमैन्स अस्पताल के शोधकर्ता डेनियल चैसमैन का कहना है, "अब तक माइग्रेन को पूरी तरह से ना समझने के कारण इसकी वजहों को दूर करना मुश्किल था। लेकिन अब तीन नए जीनों की खोज से इस बीमारी के जीववैज्ञानिक कारणों को समझने और इस स्थिति के इलाज की दिशा में मदद मिल सकेगी।"

" शोधकर्ताओं ने 5,000 माइग्रेन पीड़ित महिलाओं सहित 23,000 से अधिक महिलाओं के आनुवांशिक आंक़डों के परीक्षण के आधार पर यह शोध किया है।
माइग्रेन एक ऎसी बीमारी है जिसमें उद्दीपनों के प्रति तंत्रिका कोशिकाओं की असामान्य प्रतिक्रिया होती है। इस बीमारी में सिर में अत्यधिक दर्द होता है, इससे अक्सर मतली होती है व प्रकाश और ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है।

Tuesday, March 22, 2011

अलसी महिमा : डॉ ओ पी वर्मा

आयुवर्धक, आरोग्यवर्धक अलसी से आहार चिकित्सा

डॉक्टर ओ0 पी0 वर्मा रचित ‘‘अलसी महिमा’’नामक पुस्तिका प्रकाशित हुई है। उक्त पुस्तिका को आप क्वूदसवंक डल ठववासमजे के टेग के नीचे अंकित नाम पर क्लिक कर उसे डाउनलोड करें। छपी हुई पुस्तक आप मुझसे मंगवा भी सकते हैं।
अलसी महिमा : डॉ ओ पी वर्मा

पुस्तिका की विषय वस्तु
अलसी एक चमत्कारी आयुवर्धक, आरोग्यवर्धक दैविक भोजन है। अलसी एक प्राणदायी औषधि है। कैंसर , ब्लड प्रेशर, अर्थाराइटीस, डाइबीटिज , अपच आदि का इलाज अलसी के सेवन से होता है। जिसका विस्तृत वर्णन पुस्तक में है।अलसी एक सम्पूर्ण आहार है, इसमें 18 प्रतिशत प्रोटीन 27 प्रतिशत फाइबर, 18 प्रतिशत ओमेगा-3 फैटी एसिड, लिगनेन व सभी विटामिन और खनिज लवणों का भण्डार है। अलसी रक्त को पतला बनाये रखती है। रक्त वाहिकाओं को स्वीपर की तरह साफ करती है। कॉलेस्ट्राल और ब्लड प्रेशर को सही रखती है। अलसी में फाइबर की मात्रा सबसे अधिक है। इसलिए यह ईसबगोल से भी ज्यादा लाभदायक है। तभी अलसी के लिए कहा जाता है कि यह कब्जासुर का वध करती है। अलसी शक्तिवर्धक एंव बौडी बिल्डिंग  में सहायक है। तभी डबल्यू एच ओ ने इसे सुपर फूड की संज्ञा दी है। इसके अतिरिक्त पुस्तक में डा. योहाना बुडवीज का कैंसर रोधी आहार-विहार,अलसी के व्यंजन, वसा जो कारक है वसा जो मारक है, अलसी चालीसा, अलसी सेवन से लाभार्थिंयों के अनुभव संग्रहीत है। ढ़ेर सारी अनेक बातें अलसी के आहार से चिकित्सा से सम्बन्धी मौजूद है।
लेखक के बारे में एलोपैथिक डाक्टर ओ0 पी0 वर्मा फ्लेक्स अवेयेरनेस सोसायटी के अध्यक्ष है। देश के अनेक पत्र-पत्रिकाओं में अलसी पर आपके आलेख छपे है। दूरदर्शन पर वार्ताएं प्रसारित हुई है। इन्होंने नाॅबेल पुरस्कार के लिए नामांकित जर्मन डा. बुडवीज के आधार पर अलसी से चिकित्सा पर बहुत कार्य किया है। कैंसर जैसे घातक रोगों का इलाज अलसी के द्वारा डा. बुडवीज ने किया है,जिसे बुडवीज प्रोटोकोल के नामा से जाना जाता है। (साभार- डॉ ओ पी वर्मा )

साभार
http://uthojago.wordpress.com/2011/03/11/%E0%A4%86%E0%A4%AF%E0%A5%81%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A7%E0%A4%95-%E0%A4%86%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A7%E0%A4%95-%E0%A4%85%E0%A4%B2/

वक़्त रहते समझना होगा कि वास्तव में पानी ही अमृत है.

विश्व जल दिवस 22 मार्च 2011 पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून का संदेश

 HBFI पर देखें पूरी पोस्ट .

वक़्त रहते समझना होगा कि वास्तव में पानी ही अमृत है. 

 

Monday, October 18, 2010

Naturopathy कुदरती पदार्थों से करें कब्ज (कांस्टीपेशन) का इलाज.

अनियमित खान-पान के चलते लोगों में कब्ज एक आम बीमारी की तरह प्रचलित है। यह पाचन तन्त्र का प्रमुख विकार है। मनुष्यों मे मल निष्कासन की फ़्रिक्वेन्सी अलग अलग पाई जाती है। किसी को दिन में एक बार मल विसर्जन होता है तो किसी को दिन में २-३ बार होता है। कुछ लोग हफ़्ते में २ य ३ बार मल विसर्जन करते हैं। ज्यादा कठोर,गाढा और सूखा मल जिसको बाहर धकेलने के लिये जोर लगाना पडे यह कब्ज रोग का प्रमुख लक्छण है।ऐसा मल हफ़्ते में ३ से कम दफ़ा आता है और यह इस रोग का दूसरा लक्छण है। कब्ज रोगियों में पेट फ़ूलने की शिकायत भी साथ में देखने को मिलती है। यह रोग किसी व्यक्ति को किसी भी आयु में हो सकता है हो सकता है लेकिन महिलाओं और बुजुर्गों में कब्ज रोग की प्राधानता पाई जाती है।

कब्ज निवारक नुस्खे इस्तेमाल करने से कब्ज का निवारण होता है और कब्ज से होने वाले रोगों से भी बचाव हो जाता है--

१---कब्ज का मूल कारण शरीर मे तरल की कमी होना है। पानी की कमी से आंतों में मल सूख जाता है और मल निष्कासन में जोर लगाना पडता है। अत: कब्ज से परेशान रोगी को दिन मे २४ घंटे मे मौसम के मुताबिक ३ से ५ लिटर पानी पीने की आदत डालना चाहिये। इससे कब्ज रोग निवारण मे बहुत मदद मिलती है।

२...भोजन में रेशे की मात्रा ज्यादा रखने से कब्ज निवारण होता है।हरी पत्तेदार सब्जियों और फ़लों में प्रचुर रेशा पाया जाता है। मेरा सुझाव है कि अपने भोजन मे करीब ७०० ग्राम हरी शाक या फ़ल या दोनो चीजे शामिल करें।

३... सूखा भोजन ना लें। अपने भोजन में तेल और घी की मात्रा का उचित स्तर बनाये रखें। चिकनाई वाले पदार्थ से दस्त साफ़ आती है।

४..पका हुआ बिल्व फ़ल कब्ज के लिये श्रेष्ठ औषधि है। इसे पानी में उबालें। फ़िर मसलकर रस निकालकर नित्य ७ दिन तक पियें। कज मिटेगी।

५.. रात को सोते समय एक गिलास गरम दूध पियें। मल आंतों में चिपक रहा हो तो दूध में ३ -४ चम्मच केस्टर आईल (अरंडी तेल) मिलाकर पीना चाहिये।



६..इसबगोल की की भूसी कब्ज में परम हितकारी है। दूध या पानी के साथ २-३ चम्मच इसबगोल की भूसी रात को सोते वक्त लेना फ़ायदे मंद है। दस्त खुलासा होने लगता है।यह एक कुदरती रेशा है और आंतों की सक्रियता बढाता है।

७..नींबू कब्ज में गुण्कारी है। मामुली गरम जल में एक नींबू निचोडकर दिन में २-३बार पियें। जरूर लाभ होगा।

८..एक गिलास दूध में १-२ चाम्मच घी मिलाकर रात को सोते समय पीने से भी कब्ज रोग का समाधान होता है।

९...एक कप गरम जल मे १ चम्म्च शहद मिलाकर पीने से कब्ज मिटती है। यह मिश्रण दिन मे ३ बार पीना हितकर है।

१०.. जल्दी सुबह उठकर एक लिटर गरम पानी पीकर २-३ किलोमीटर घूमने जाएं। बहुत बढिया उपाय है।

११..दो सेवफ़ल प्रतिदिन खाने से कब्ज में लाभ होता है।

१२..अमरूद और पपीता ये दोनो फ़ल कब्ज रोगी के लिये अमॄत समान है। ये फ़ल दिन मे किसी भी समय खाये जा सकते हैं। इन फ़लों में पर्याप्त रेशा होता है और आंतों को शक्ति देते हैं। मल आसानी से विसर्जीत होता है।

१२..अंगूर मे कब्ज निवारण के गुण हैं । सूखे अंगूर याने किश्मिश पानी में ३ घन्टे गलाकर खाने से आंतों को ताकत मिलती है और दस्त आसानी से आती है। जब तक बाजार मे अंगूर मिलें नियमित रूप से उपयोग करते रहें।

13..एक और बढिया तरीका है। अलसी के बीज का मिक्सर में पावडर बनालें। एक गिलास पानी मे २० ग्राम के करीब यह पावडर डालें और ३-४ घन्टे तक गलने के बाद छानकर यह पानी पी जाएं। बेहद उपकारी ईलाज है।

१४.. पालक का रस या पालक कच्चा खाने से कब्ज नाश होता है। एक गिलास पालक का रस रोज पीना उत्तम है। पुरानी कब्ज भी इस सरल उपचार से मिट जाती है।

१५.. अंजीर कब्ज हरण फ़ल है। ३-४ अंजीर फ़ल रात भर पानी में गलावें। सुबह खाएं। आंतों को गतिमान कर कब्ज का निवारण होता है।

16.. मुनका में कब्ज नष्ट करने के तत्व हैं। ७ नग मुनक्का रोजाना रात को सोते वक्त लेने से कब्ज रोग का स्थाई समाधान हो जाता है।